एक फौजी तानाशाह जिसने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को धोखा दिय
जिया उल हक़ के उस पकिस्तान में अदालतों का नंगा नाच नोट - ये स्टोरी हमने पाकिस्तान के उन हालातों के ऊपर की है जब पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक़ की कमान के तहत फौजी हुकूमत सक्रिय थी || इसमें बताई गयी हर एक जानकारी का आधार पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो द्वारा लिखी गयी आत्मकथा ' मेरी आप बीती' से लिए है || इस कहानी की शुरुआत होती है 5 जुलाई 1977 से जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक़ ने वहां के प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो को सत्ता से बेदखल कर दिया और फौजी हुकूमत कायम करने का हुक्म दे दिया || शायद यह पकिस्तान के इतिहास का सबसे बुरा दिन था जब पाकिस्तान के पहले लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए प्रधानमंत्री को क़ैद कर लिया गया || ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को अपने ही एक राजनीतिक विपक्षी नेता की ह्त्या के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है || जनरल जिया 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने का वादा करते हैं लेकिन ऐसा होता नहीं है || भुट्टो पर कानूनी कार्यवाही की जाती है , मुक़दमे लाडे जाते हैं लेकिन सब एकतरफा सिर्फ एक ड्रामा जो पाकिस्तान की जनता को सबसे बड़े धोखे में रखे